तेरी आवाज़ पर मरते हैं तेरे हर अंदाज़ पर मरते हैं !!
तुझे बताया नहीं कभी लेकिन एक तरफा इश्क़ तुमसे करते हैं !!
साँसों की महक हो या चेहरे का नूर !!
चाहत है आपसे इसमें मेरा क्या कसूर !!
तेरी याद क्यूँ आती है ये मालुम नहीं !!
लेकिन जब भी आती है अच्छा लगता है !!
उनकी नज़र का कुछ ऐसा खुमार था !!
उफ़ दिल ना देते तो जान चली जाती !!
वो कहती है कभी और कभी और होता नहीं !!
दिल भी तो नादान उनके सिवा कहीं और खोता नहीं !!
सोचा था आज तेरे सिवा कुछ और सोचूँ,
पर इसमे भी तो बस तुझे ही सोच रहा हूँ !!
लफ्जों से क्या मुकाबला !!नजरों के वार का !!
असर अक्सर गहरा होता है !!बेजुबाँ प्यार का !!
दूरियों से ही एहसास होता है !!
कि नजदीकियां कितनी खास होती हैं !!
ज़ख़्म खरीद लाया हूं बाज़ार-ए-इश्क़ से !!
दिल ज़िद कर रहा था मुझे इश्क चाहिए !!
इक झलक जो मुझे आज तेरी मिल गई !!
फ़िर से आज जीने की वज़ह मिल गई !!
बस यही आदत उसकी मुझे अच्छी लगती हैं जब !!
नजरे झुका कर वो कहती है तुम्हें हक्क हैं !!
बहुत दूर है तुम्हारे घर से मारे घर का किनारा !!
पर हम हवा के हर झोंके से पूछ लेते हैं क्या हाल है तुम्हारा !!
चलते चलते मुलाक़ात हो गयी उनसे राहों में !!
मदहोश हो गए हम जब देखा उनकी निगाहों में !!
मेरा सपना तुझे पाना नहीं !!
बल्कि तुझे खुश देखना है !!
ज़िन्दगी यूँ ही बहुत कम है !!मोहब्बत के लिए !!
फिर एक दूसरे से रूठकर वक़्त गँवाने की जरूरत क्या है !!
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