
इन लम्हो में जो लहू जला है हमारा !!
चलो इस महफ़िल में कुछ चिराग जले हुए तो हैं !!

कोई नही था और ना ही होगा !!
तेरे जितना करीब मेरे दिल के !!

फिर नज़र में फूल महके दिल में फिर शम्में जलीं !!
फिर तसव्वुर ने लिया उस बज़्म में जाने का नाम !!

एक उम्र है जो मुझे बितानी है उसके बगैर !!
और एक रात है जो मुझसे कटती नहीं !!

आँख जो कुछ देखती है लब पे आ सकता नहीं !!
महव-ए-हैरत हूँ कि दुनिया क्या से क्या हो जाएगी !!

पहले ज़मीं बँटी फिर घर भी बँट गया !!
इंसान अपने आप में कितना सिमट गया !!

सोच कर रखना हमारी सल्तनत में क़दम !!
हमारी ”मोहब्बत” की क़ैद में ज़मानत नहीं होती !!

लम्हे फुर्सत आएं तो,रंजिशें भुला देना दोस्तों !!
किसी को नहीं खबर कि सांसों की मोहलत कहाँ तक है !!

सुनो दिल धड़कने लगता है ख़यालों से ही !!
ना जाने क्या हाल होगा मुलाक़ातों में !!

दिल में आहट सी हुई रूह में दस्तक गूँजी !!
किसकी खुशबू ये मुझे मेरे सिरहाने आई !!
मैं कुछ न कहूँ और ये चाहूँ कि मेरी बात !!
खुशबू की तरह उड़ के तेरे दिल में उतर जाए !!

वो तो खुशबू है हवाओं में बिखर जाएगा !!
मसला फूल का है फूल किधर जाएगा !!

गलतफहमी की गुंजाईश नहीं सच्ची मोहब्बत में !!
जहाँ किरदार हल्का हो कहानी डूब जाती है !!

सब मिटा दें दिल से , हैं जितनी उसमें ख्वाहिशें !!
गर हमें मालूम हो कुछ उसकी ख्वाहिश और है !!

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