ऐसी कोई तारीफ ही नही है !! जो तुम्हारी तारीफ कर सके !!

तेरे हुस्न को परदे कि जरुरत क्या है !! कौन रहता है होश में तुझे देखने के बाद !!

कैसे बयान करे सादगी अपने महबूब की !! पर्दा हमी से था मगर नजर भी हमी पे थी !!

काटे नही कटते लम्हे इन्तजार के !! नजरे बिछाएं बैठे है रास्ते पे यार के !!

आसमा मे खलबली है सब यही पूछ रहे हैं !! कौन फिरता है ज़मी पे चाँद सा चेहरा लिए !!

मेरे मिजाज की क्या बात करते हो साहब !! कभी-कभी मै खुद को भी जहर लगती हूं !!

आँखो मे आँसुओ की लकीर बन गई !! जैसी चाहिए थी वैसी तकदीर बन गई !!

एक उम्र है जो तेरे बगैर गुजारनी है !! और एक लम्हा है जो तेरे बगैर गुज़रता नही !!

जो लव्स तेरी तारीफ करते नहीं थकते थे !! आज वो तेरा नाम तक नहीं लेना चाहते है !!

मेरे मिजाज की क्या बात करते हो साहब !! कभी-कभी मैं खुद को भी जहर लगती हूँ !!