कितने बरसों का सफर खाक हुआ !! उसने जब पूछा कहो कैसे आना हुआ !!
ये और बात है की वो निभा न सके !! मगर जो किए थे उन्होंने वो वादे गजब के थे !!
ख़ुश्क ख़ुश्क सी पलकें और सूख जाती हैं !! मैं तेरी जुदाई में इस तरह भी रोता हूँ !!
तेरे प्यार ने मेरी शायरी बना दी !! पर तेरी जुदाई ने मुझे शायर बना दिया !!
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मिटा ना पाओगें मेरे निशा दिल से !! मिलने से जुदाई तक बेशुमार हुं में !!
ना शौक दीदार का ना फिक्र जुदाई की !! बड़े खुश नसीब हैँ वो लोग जो मोहब्बत नहीँ करतेँ !!
मरने के तमाम साधन है !! पर मैं तेरी जुदाई से मर जाऊंगा !!
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दूर जा कर भी मेरी रूह में मौजूद न रह !! तू कभी अपनी जुदाई भी तो सहने दें मुझे !!
किसने बनाया है यें बिछड़ने का रिवाज !! उससे कहो लोग़ मर भी सकते हैं जुदाई में !!
आज तक याद है वो शाम-ए-जुदाई का समाँ !! तेरी आवाज़ की लर्ज़िश तिरे लहजे की थकान !!
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