बस जान गया मैं तेरी पहचान यही है !! तू दिल में तो आता है समझ में नहीं आता !!

बाद मरने के मिली जन्नत ख़ुदा का शुक्र है !! मुझको दफ़नाया रफ़ीक़ों ने गली में यार की !!

मुझ को ख़्वाहिश ही ढूँडने की न थी !! मुझ में खोया रहा ख़ुदा मेरा !! 

वफ़ा जिस से की बेवफ़ा हो गया !! जिसे बुत बनाया ख़ुदा हो गया !! 

इस भरोसे पे कर रहा हूँ गुनाह !! बख़्श देना तो तेरी फ़ितरत है !! 

किताब सी शख्सियत दे ए मेरे खुदा !! सब कुछ कह दू खामोश रहकर !! 

आशिक़ी से मिलेगा ऐ ज़ाहिद !! बंदगी से ख़ुदा नहीं मिलता !!

प्यार का तो पता नहीं पर खुदा !! एक दोस्त ऐसा दे जो मोहब्बत को भी मात दे दे !! 

सब लोग अपने अपने ख़ुदाओं को लाए थे !! इक हम ही ऐसे थे कि हमारा ख़ुदा न था !! 

जो खोया वह मेरी नादानी थी !! जो पाया वह मेरे रब की मेहरबानी !! 

वो गुनाहगार की दुआ भी सुना करता है !! ए इंसान हाथ मायूस नहीं होंगे उठा के तो देख !! 

बारहा तेरा इंतिज़ार किया !! अपने ख़्वाबों में इक दुल्हन की तरह !! 

एक ही ख्वाहिश हैं इस दिल की !! खुद को तुम्हारे नाम लिख दूँ उम्र भर के लिए !! 

दुआ में उसकी की खुशियां मांगता हूं !! उन्हें खुश देखकर मैं खुश होना जानता हूं !!