अब हम समझे तेरे चेहरे पे तिल का मतलब !! हुस्न की दौलत पे दरबान बिठा रखा है !!
हुस्न-ए-ख़ुमारी का आलम क्या पूछते हो !! गजरा,चूड़ी ,काजल,बिंदी ,उफ्फ्फ तुम क्या पूछते हो !!
कितनी तारीफ करूं उस जालिम के हुस्न की !! पूरी किताब तो बस उसके !!होठों पर ही खत्म हो जाती है !!