तेरे पलकों के काजल को देख सीख गया हूँ मैं !! कि हर पलकों का काजल तुम्हारे जैसा सच्चा नहीं होता !!

हमें सीने से लगाकर हमारी साडी कसक दूर कर दो !! हम सिर्फ तुम्हारे हो जाये हमें इतना मजबूर कर दो !!

तेरी मोहब्बत की तलब थी इस लिए हाथ फैला दिया !! वरना हमने तो कभी अपनी ज़िन्दगी की दुआ भी नहीं मांगी !! 

सिर्फ दो ही वक़्त में तेरा साथ चाहिए !! एक तो अभी और एक आने वाले कल में !!

तेरे पलकों के काजल को देख सीख गया हूँ मैं !! कि हर पलकों का काजल तुम्हारे जैसा सच्चा नहीं होता !!

तेरी मोहब्बत की तलब थी इस लिए हाथ फैला दिया !! वरना हमने तो कभी अपनी ज़िन्दगी की दुआ भी नहीं मांगी !! 

तुम्हारे गुस्से की भी कम्बख्त आदत सी हो गयी है !! इश्क़ अधूरा सा लगता है जब तुम गुस्सा नहीं करते !!

तेरे गुस्से पे भी आज हमें प्यार आया है !! चलो कोई तो है जिसने इतने हक़ से हमें धमकाया है !!

तेरे गुस्से पे भी आज हमें प्यार आया है !! चलो कोई तो है जिसने इतने हक़ से हमें धमकाया है !!