Sharab shayari in hindi
ज़बान कहने से रुक जाए !!
वही दिल का है अफ़साना !!
ना पूछो मय-कशों से क्यों !!
छलक जाता है पैमाना !!
इश्क़-ऐ-बेवफ़ाई ने डाल दी है आदत बुरी !!
मैं भी शरीफ हुआ करता था इस ज़माने में !!
पहले दिन शुरू करता था मस्जिद में नमाज़ से !!
अब ढलती है शाम शराब के साथ मैखाने में !!
पी है शराब हर गली हर दुकान से !!
एक दोस्ती सी हो गई है शराब के जाम से !!
गुज़रे हैं हम इश्क़ में कुछ ऐसे मुकाम से !!
की नफ़रत सी हो गई है मुहब्बत के नाम से !!
मैं तोड़ लेता अगर तू गुलाब होती !!
मैं जवाब बनता अगर तू सवाल होती !!
सब जानते है मैं नशा नही करता !!
मगर मैं भी पी लेता अगर तू शराब होती !!
जाम पे जाम पीने से क्या फायदा दोस्तों !!
रात को पी हुयी शराब सुबह उतर जाएगी !!
अरे पीना है तो दो बूंद बेवफा के पी के देख !!
सारी उमर नशे में गुज़र जाएगी !!
नशा मोहब्बत का हो या शराब का !!
होश दोनों में खो जाते है !!
फर्क सिर्फ इतना है की शराब सुला देती है !!
और मोहब्बत रुला देती है !!
कुछ चेहरे लाजवाब लगते हैं !!
मोहब्बत के लम्हें शराब लगते हैं !!
दर्द इतने सहे मोहब्बत में मैंने !!
कि अब होश के पल खराब लगते हैं !!
पीते थे शराब हम !!
उसने छुड़ाई अपनी कसम देकर !!
महफ़िल में आये तो यारों ने !!
पिला दी उसकी कसम देकर !!
थोड़ा गम मिला तो घबरा के पी गए !!
थोड़ी खुशी मिली तो मिला के पी गए !!
यूँ तो न थी हमें ये पीने की आदत !!
शराब को तन्हा देख तरस खा के पी गए !!
कौन आता है मयखाने में !!
पीने को ये शराब साकी !!
हम तो तेरे हुस्न का !!
दीदार किया करते हैं !!
गिरी मिली एक बोतल शराब की तो ऐसा लगा मुझे !!
जैसे बिखरा पड़ा था एक रात का सुकून किसी का !!
ज़ाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर !!
या वो जगह बता दे जहाँ पर ख़ुदा न हो !!
आये कुछ अब्र कुछ शराब आये !!
उसके बाद आये तो अज़ाब आये !!
बाम-इ-मिन्हा से महताब उतरे !!
दस्त-ए-साक़ी में आफ़ताब आये !!
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