मिले थे किसी मोड़ पर सोचा था कभी होंगे न जुदा !!
वक़्त ऐसा आया कि कहना पड़ा अलविदा !!
अभी तक अलविदा नहीं कहा उसने !!
इन्तिज़ार लाज़मी है हमारा !!
अभी तो सफर शुरू भी नही हुआ !!
और तुमनें अभी से अलविदा कहने का मन बना लिया !!
मेरी मोहब्बत भी रेत की तरहाँ थी !!
हाथो मे हो के भी फिसलती नजर आती है !!
वो मुकम्मल अलविदा नहीं हुआ मुझसे !!
दिल के एक कोने में दाग की तरह रह गया है !!
न कभी आवाज़ देना और न ही मुड़कर आना !!
बड़ी मुश्किल से सीखा है मैंने अलविदा कहना।
मुझे बहुत अच्छी लगी उसकी ये अदा !!
चार दिन इश्क़-मोहब्बत और फिर अलविदा !!
अपनी जिंदगी का खुल कर मजा लीजिये !!
दिल दुखाने वालों को अलविदा कीजिये !!
बड़ी अजीब सी है उनकी अदा !!
एक पल सलाम दूसरे में अलविदा।
आधे से कुछ ज्यादा है पूरे से कुछ कम !!
कुछ जिंदगी कुछ गम कुछ इश्क़ कुछ हम !!
विदा जो कहूं तो अलविदा मत समझना !!
गुलाब सा रखना मुझे किसी बंद किताब में !!
डूब गए तो किनारों से कहना अलविदा हमें !!
उभर गए तो यकीन मानो समुंदर समेट देंगे !!
कितना दुश्वार है रिश्तों को अलविदा कहना !!
उसने जाते हुए एक बार तो सोचा होता !!
मुड़कर नहीं देखते अलविदा के बाद !!
कई मुलाकातें बस इसी गुरूर ने खो दीं !!
मुद्द्तों तक किया था इन्तजार जिसका !!
वो आया लौट के भी तो अलविदा कहने !!
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